शम्मी अपने परिवार के साथ देहरादून में रहता था। शम्मी के पिता जी एक बड़ी कंपनी में काम करते थे। शम्मी बहुत शर्मीला और शांत स्वभाव का युवक था।
शम्मी को किसी भी शादी पार्टी में जाना पसंद नहीं था। शम्मी को शांत वातावरण बहुत लगता था।
एक दिन कंपनी की तरफ से शम्मी के पिता को पूरे परिवार के साथ विदेश जाने का आदेश मिलता है। शम्मी को घूमने फिरने का भी कम शौक था। शम्मी इसलिए अपने माता-पिता से विदेश जाने की मना कर देता है।
और शम्मी के माता-पिता तीन बरस के लिए विदेश चले जाते हैं। माता पिता के विदेश जाने के बाद सभी को बहुत अकेलापन महसूस होता है। शम्मी को अपने मां-बाप के बिना घर बहुत सुना सुन लगता है। रात को अकेलेपन की वजह से शम्मी को घर में नींद नहीं आती थी।
इसलिए एक रात को शम्मी नींद ना आने की वजह से अपने आंगन में सूखी लकड़ियां जलाकर कुर्सी पर बैठ जाता है। शम्मी के मकान से एक मकान छोड़कर बाकी मकान थोड़ी थोड़ी दूरी पर थे।
शम्मी जब अपने घर के आंगन को देखता है और पड़ोस के घर के आंगन को देखता है तो उसे दोनों घरों के आंगन का सन्नाटा देखकर और अकेलापन महसूस होने लगता है। शम्मी के पड़ोस का मकान किसी ने खरीद तो लिया था लेकिन अब तक वह अपने परिवार के साथ वहां रहने नहीं आए थे। इसलिए शम्मी ज्यादा अकेलापन महसूस होने की वजह से अपने घर में सोने चला जाता है।
और एक सप्ताह के बाद उस मकान में वह परिवार रहने आ जाता है। उस परिवार में एक मधु नाम की लड़की और उसके माता-पिता थे।
मधु भी शम्मी की तरह 12वीं कक्षा में पढ़ती थी। मधु शम्मी के स्कूल में ही दाखिला ले लेती है। मधु के परिवार के आने के बाद शम्मी के पड़ोस में रौनक हो जाती है।
शम्मी को एक रात फिर नींद नहीं आती और बेचैनी होती है। उस रात उसे अपने मां-बाप की बहुत ज्यादा याद आती है। इसलिए शम्मी अपने आंगन में चमेली के पेड़ के पास सूखी लकड़ियों से आग जलाकर कुर्सी पर बैठ जाता है। और चांदनी रात में टिमटिमाते तारे देखते हुए सोचता है कि वह लोग कैसे जीते होंगे जिनका परिवार नहीं होता है।
रात को अचानक मधु की नजर उदास अकेले आग के पास बैठे हुए शम्मी पर जाती है। मधु रात को अपने घर से निकलकर शम्मी के पास आकर उससे उदासी का कारण पूछती है। शम्मी बहुत ही शर्मीला लड़का था, इसलिए मधु की बातों का सिर्फ हां ना में जवाब देता है। चांदनी रात और चमेली की खुशबू की वजह से रात का माहौल बहुत खूबसूरत लग रहा था। मधु के जाने के बाद शम्मी भी घर में सोने चला जाता है।
जब शम्मी सुबह सोकर उठता है तो उसे मधु के साथ रात को बिताया हुआ वह समय बहुत खूबसूरत लगता है। और मधु के प्यार को पाना उसका जुनून बन जाता है।
शम्मी सुबह अपने आंगन में खड़ा होकर मधु के घर का दरवाजा खुलने का इंतजार करता है। लेकिन बहुत देर तक जब दरवाजा नहीं खुलता तो शम्मी की मधु से मिलने की बेचैनी और बढ़ने लगती है। कुछ देर बाद मधु की मां घर का दरवाजा खोलती है। और शम्मी जल्दी से मधु की मां से पूछता है कि मधु कहां है, तो मधु की मां शम्मी से कहती है कि "मधु तो आज सुबह ही अपनी सहेलियों के साथ मसूरी घूमने चली गई है।"
मधु की मां से बात करने के बाद शम्मी उसी समय मधु से मिलने मसूरी चला जाता है। मधु जब अचानक मसूरी में शम्मी से मिलती है तो किसी अजनबी से बातें करते हैं ऐसे शम्मी से पूछती है कि तुम मसूरी किस लिए आए हो। मधु की बेरुखी की बातें सुनकर शम्मी की आंखों में आंसू आ जाते हैं। क्योंकि शम्मी सीधा-साधा सच्चे दिल का युवक था वह मन ही मन मधु को अपना मान चुका था, इसलिए मधु की बेरुखी की बातें सुनकर वह निराश होकर चुपचाप वहां से जाने लगता है।
मधु शम्मी की भावनाओं और सच्चे दिल को समझ जाती है कि शम्मी को मुझसे सच्चा प्यार हो गया है। और मेरे प्यार को पाना शम्मी का जुनून बन गया है।
shweta soni
24-Mar-2023 01:25 PM
बेहतरीन
Reply
Seema Priyadarshini sahay
23-Mar-2023 11:59 PM
बहुत अच्छी कहानी
Reply
नरसिंह हैरान जौनपुरी
19-Mar-2023 07:00 PM
Nice
Reply